वही सूर्योदय वही सूर्यास्त
वही दिन का विप्लव,वही शुष्क रात्र
वही अलसाई सुबह,वही बेरंग शाम
वही ठिठुरती शीत, वही धधकता ग्रीष्म
वही नाचता सावन,वही गाता वसंत
वही महीने,वही साल
क्या है बदला, क्या है बदलता
बदलती है तो सिर्फ तारीख़े
और
उन तारीखों में घटने वाले घटनाक्रम
वही
घटनाक्रम जो सिखाते है आपको सबक
वही
सबक जो बनाते है आपको
जानवर से इंसान।
इसलिए हर पल में ताजगी,आशा,आनंद,उमंग सँजोये।
तेरा मंगल,मेरा मंगल,
सबका मंगल होए रे
"जोश-ए-जहानाबादी"
😊🙏
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